तुम आज आ रहे हो …
तुम आज आ रहे हो, आभास हो रहा है,
मन में मीठा-मीठा सा, अहसास हो रहा है,
तुम आज आ रहे हो…
तरसती हैं रह-रह, निगाहें निगोड़ी,
हर अजनबी पर, टिकें थोड़ी-थोड़ी,
आहट सी कर रहे हो, आभास हो रहा है,
मन में मीठा-मीठा सा, अहसास हो रहा है,
तुम आज आ रहे हो…
बेला, जूही, चंपा आज, बनीं लाजवंती,
अठखेलियां सी करती, हवा ये बसंती,
झोंका सा बन रहे हो, आभास हो रहा है,
मन में मीठा-मीठा सा, अहसास हो रहा है,
तुम आज आ रहे हो…
आज तेरी खातिर घर को, सजाऊंगी संवारूंगी,
दिल को बनाके दीपक, आरती उतारूंगी,
जगमग जगमगा रहे हो, आभास हो रहा है,
मन में मीठा-मीठा सा, अहसास हो रहा है,
तुम आज आ रहे हो…
तुमको बिठाऊंगी मैं, पलकों की छांव में,
तोड़ दूंगी सारे बंधन, तेरी ही पनाह में,
सांसो में समा रहे हो, आभास हो रहा है,
मन में मीठा-मीठा सा, अहसास हो रहा है।
तुम आज आ रहे हो…।
✍ – सुनील सुमन