तुम आओगे तो कैसा होगा
कभी कभी मैं सोचती हूं तुम आओगे तो कैसा होगा
जैसा मैं सोचती हूं क्या बिल्कुल वैसा होगा
आओगे तो क्या शरमाऊंगी मैं
या थोड़ा घबराऊंगी मैं
सोचूं तो मैं बहुत कुछ पिरयवर
पता नहीं प्यार तुम्हारा कैसा होगा
कभी कभी मैं सोचती हूं तुम आओगे तो कैसा होगा
मेरी कविता मैं ही बोलूं
तुम्हे सोच सोच रस घोलूं
बड़े त्योहार मनाए मैंने
वो दिन भी त्योहारों जैसा होगा
कभी कभी मैं सोचती हूं तुम आओगे तो कैसा होगा
वचन तुम ने दिया है मुझ को मैं तो मिलने आऊंगा
तेरा प्यार तो कुछ भी नहीं मैं अपना प्यार दिखाऊंगा
तुम्हारे प्रेम का मैं क्या जानूं
पर मेरा प्रेम राधे कृष्ण जैसा होगा
राधे कृष्ण जैसा होगा
कभी मैं सोचती हूं तुम आओगे तो कैसा
कभी कभी मैं सोचती हूं तुम आओगे तो कैसा होगा