तुम आए कि नहीं आए
तुम आए कि नहीं आए
दुवा लाए कि दुआ लाए
मीठा लाए कि तीखा लाए
अपने आए कि पराए आए
मैं पुकारता चला गया।
तुम आराधना करते रह गए
तुम कष्ट करते रह गए
मुझमें आस्था इतना था
मुझमें विश्वास इतना था
क्षतिज के नीचे चलता चला गया ।
तुम मांगते चले गए
मैं देता चला गया
तुमने क्या मांगा ?
मैंने क्या -क्या दे दिया
सारा किताब यादों में रह गया ।
तुम लुटाते चले गए
मैं चुनता चला गया
पैसे लुटाए कि फूल बरसाए
दिल लुटाए कि कांटे बिछाए
मैं गले लगाता चला गया ।
जो तेरा था
तुझको दे दिया
मेरा क्या था ?
वो तो तेरा ही अमानत था
तुम्हारे पास रह गया ।
मैं कहता चला गया
तुम सुनते चले गए
मुकद्दर की बात थी
तुमने कुछ नहीं किया
मैं हाथ मलते चल दिए ।
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@मौलिक रचना घनश्याम पोद्दार
मुंगेर