तुम अव्वल दर्जे के मूर्ख हो
पता है मुझे
अब कुछ दिन तुम यही करोगे
मन्दिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे
बन्द करने को कहोगे
अस्पतालों की पैरवी करोगे
ये कोई नई बात नहीं है
किन्तु बात वही है
इतनी उम्र गुजरी जिसकी पनाह में
शान्ति से, सुकून से
आज जरा सा कष्ट क्या आया
उसी से भरोसा उठ गया
होता है…ऐसा ही होता है
चलो बदल दो सारे धर्मस्थलों को
अस्पतालों में
किन्तु सोचो तब भी हालात नहीं सँभले
तो कहाँ जाओगे ??
मुझे पता है
तब भगवान, भगवान चिल्लाओगे
मत भूलो
ईश्वर तुम्हारे रहमोकरम पर नहीं रहता
ये सारी दुनिया उसी की तो है
और तुम उसके अस्तित्व को नकारते हो
जो असहायों की निःस्वार्थ सेवा करे
वो भगवान का कृपापात्र होता है
भगवान नहीं
कष्ट होने पर वो भी वहीं जाता है
जहाँ की तुम आलोचना कर रहे हो
क्या चीन, फ्रांस, इटली, अमेरिका जैसे देश
अस्पताल विहीन है
अरबों खर्च करके क्या पाया उन्होने
लाखों हजारों लोगों की मौत
आधुनिक तकनीक का क्या हुआ
सब धरा का धरा रह गया
तुम क्या समझते हो
ये मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे बनवाकर
तुमने ईश्वर पर एहसान किया है
अगर तुम ये सोच रहे हो
कि यहाँ ईश्वर रहता है तो..तो
तुम अव्वल दर्जे के मूर्ख हो
हाँ लोगों का विश्वास और उनकी मान्यताएँ
बना देती हैं इन स्थलों को
पवित्र और परिपूर्ण
सकारात्मक ऊर्जा से…
जो कि स्वरूप है
उसी अदृश्य शक्ति का
जिसे हम ईश्वर कहते हैं
अब खुद निर्णय लो
किसकी शरण चाहिए
अभी नहीं
हमेशा के लिए
संजय कौशाम्बी©®