तुम अलविदा तो कह जाते
तुम अलविदा तो कह जाते :
इतनी व्यथा ,
इतनी वेदना ,
तिरस्कार,
उपेक्षा ,
कैसे कोई सहे ,
तुम एक बार ,
एक बार तो अलविदा
कह जाते ,
एक बार तो कुछ कह जाते
जाते जाते ,
निर्मोही!
हर युग
यह दोहराता रहा
कन्हैया छोड़ कर गए
प्राण-शक्ति राधा को ,
तज गए
मीरा की भक्ति ,
सम्पर्पण भाव को ,
लक्ष्मण भी वन चले गए
कुछ भी नहीं कहा
उर्मिला से ,
कैसे काटेगी विरह- वेदना ,
किसके कंधे पर
सिर रख कर आँसू बहाएगी,
कुछ तो कहा होता ,
उपेक्षित उर्मिला मौन रही ,
दो शब्द स्नेह के
नीर भरी बदली बन
दुख धो डालते ।
एक टीस सालती रही ,
मन मसोसती रही ,
एक बार तो ,
अलविदा कह जाते ,
उसी में संतोष करती ।
डॉ करुणा भल्ला