– तुम अगर साथ देते तो हम आज नामचीन होते –
– तुम अगर साथ देते तो हम आज नामचीन होते –
नाम को खोकर हम काम में लग गए,
पारिवारिक जिम्मेदारियों ढोते ढोते न जाने हम कब बड़े हो गए,
बड़े थे तुम पर तुमने अपने स्वार्थ में शादी कर घर को छोड़ दिया,
पिता ने भी नही की परवाह
हमको ऐसे बीच भवर में छोड़ दिया,
तुम चाहते थे घर पर रहकर घर का सुधार कर सकते थे,
सबको लेकर चलने का एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते थे,
मेने बाईस बरस तक अपना समर्पण, त्याग दिया,
अपनी माता की देखभाल करने का सौभाग्य प्राप्त किया,
तुम अपने लालच में डूबे रहे,
आज भी लालच में डूबे हो,
कर सकता तो में भी तुम्हारी तरह घर को छोड़ सकता था,
यू बसा बसाया अपने पिता द्वारा परिवार तोड़ सकता था,
मां ने मुझको सिखाया व बतलाया,
की बेटा भरत कल सब ठीक हो जाएगा,
सब यही आएंगे एक दिन एक हो जाएंगे,
पर अब शायद यह मुमकिन न हो,
तुम आना नही चाहते हो,
हम बुलाना नही चाहते है,
तुम्हारे कारण हमने अपना भूत ,वर्तमान , भविष्य सब हवन किया
तुम चाहते थे तो सुधार परिवार में कर सकते थे,
पर तुमने अपनी बीबी की मानी,
हुए गुलाम बीबी के पर परिवार के हो न सके,
तुम चाहते तो साथ दे सकते थे पर तुमने ऐसा नही किया,
तुम अगर साथ देते तो हम आप नामचीन होते,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान