तुम्हें बदलना होगा ! ……. ( कविता)
यह कठोर सत्य है ,
तुझे स्वीकारना होगा।
जग में होती शक्ति की पूजा ,
तुझे अब शक्ति बनना होगा।
हे नारी ! तुझे बदलना होगा। …।
तुझे गर घूँघट नहीं गवारा ,
तो लिबास में शालीनता हो।
आँखों में ओजस्वी तेज और
मुख पर भाव गंभीरता का हो।
रानी लक्ष्मी बाई की तरह ही
दुनिया के जंग-ऐ -मैदान में उतारना होगा।
ऐ नारी। ……।
लज्जा ,संकोच व् मर्यादा का ,
क्या केवल तूने उठाया है बीड़ा।
जो है पापी ,तेरे अपराधी, ,
वही क्यों ना सहे अब पीड़ा।
इन दरिंदों का सर कुचलना होगा।
ऐ नारी। ……।
तेरे जीवन पर अधिकार है ,सिर्फ तेरा ,
नर के समान ही बराबर स्थान है तेरा।
घुट-घुट के जीना छोड़ दे अब तकरार कर ,
फिर देख यह सारा संसार है तेरा।
आत्म -विश्वास की लौ को ओर बढ़ाना होगा।
ऐ नारी। ……
रिश्तों की औ मानवता की मर्यादा,
भूल चुके है जो हैवान।
धरती पर भारी बोझ के समान ,ये ,
हैं तेरी शक्ति से अनजान।
इनका समूल मिटाने को हे दुर्गे !
तुझे महाकाली बनना होगा।
ऐ नारी। ……