तुम्हें पाने के लिए
तुम्हे पाने के लिये मैने क्या कुछ नही किया।
सुलगते दिल के बाम पर जलाया रोज दीया।
तकदीर की लकीरो मे तेरा नाम ढूँढती रही,
पर नजर न आया वो कही मुझ को रे पिया।
सारी अमानते तू मेरे पास छोड़ गया तू रे
आहें,आँसू,सपने और तड़पता एक जिया।
लफ्ज रोते है अब मेरे पाँव से लिपट कर
जिन से मोहब्बत का कभी नाम था लिया।
इल्तजा अब मै खुदा से ही करू तो कैसे
मैने क्या कर लिया या रब क्या कर दिया।
सुरिंदर कौर