तुम्हें नमन है अमर शहीदों
तुम्हीं धरा के ज्योतिपुंज हो,
हम सबका अभिमान हो।
तुम्हे नमन हे अमर शहीदों,
तुम भारत की शान हो।।
सींच धरा को लहू से अपने,
पौध नई लहराने वाले,
जंजीरों से मातृभूमि को,
मुक्त करा मुस्काने वाले,
मणियों की हो अद्द्भुत माला,
हीरों की तुम खान हो।
तुम्हे नमन हे अमर शहीदों,
तुम भारत की शान हो।।
कंटक वाले पंथ चुने तुम,
जीवन का सुख त्याग चले,
हमें हंसाने के खातिर बस,
आँसू ले अनुराग चले,
जनगणमन की गीत तुम्ही हो,
जनगणमन का गान हो।
तुम्हे नमन हे अमर शहीदों,
तुम भारत की शान हो।।
माता की वह कोंख धन्य है,
जिसमें जन्म लिया तुमने,
उसी भूमि की पावन मिट्टी,
मस्तक लगा लिया हमने,
वीरों में हो महावीर तुम,
वीरों की पहचान हो।
तुम्हे नमन हे अमर शहीदों,
तुम भारत की शान हो।।
कर्ज तुम्हारा हम पर जो है,
चुका नहीं हम पायेंगे,
सच कहते हैं सच्चे मन से,
तुमको शीश झुकायेंगे,
देव दूत कहलाने वाले,
हम सबके भगवान हो।
तुम्हे नमन हे अमर शहीदों,
तुम भारत की शान हो।।
रचना-लालबहादुर चौरसिया “लाल”
आजमगढ़ ,यूपी- ९४५२०८८८९०