तुम्हें देखने की तलब
तुम आंखों से ओझल होती हो तो
फिर तुम्हें देखने का मन करता है
तुम्हें देखने की जाने ये कैसी तलब है मुझे
तुम्हें देखकर ही मेरा मन भरता है।।
है ये कैसी मोहब्बत तुमसे मुझे
दिल कहीं लगता ही नहीं अब मेरा
हर वक्त सोचता रहता है बस
मेरा महबूब जाने कब होगा मेरा।।
डूबा रहता हूं तेरे ख्यालों में हमेशा
याद करता हूं बस तुझको हमेशा
है इंतज़ार बस उस वक्त का मुझे
जब होगा मेरा प्यार, मेरे साथ हमेशा।।
तू कब समझेगा दिल की बात मेरे
रहता है हमेशा दिल के पास मेरे
है तेरे पास ही अब जान मेरी क्योंकि
दिल छोड़ आया हूं मैं अपना, पास तेरे।।
बसना चाहता हूं तेरी आंखों में अब
जहां महफूज़ रखेंगे तेरी पलकों के पहरे
डूब जाना चाहता हूं मैं अब इनमें
है तेरे नयन जो ये समंदर से गहरे।।
देख रहा हूं मैं सपना या है ये हकीकत
जो आ गए हो तुम आज सामने मेरे
होगा यकीन अब तो ये तभी मुझे
एक बार छू लूं गर मैं हाथों को तेरे।।
रहना यूं ही तुम सामने आंखों के मेरे
अब हो जायेंगे पूरे सारे अरमान मेरे
तुम्हारी मौजूदगी देती है सुकून दिल को मेरे
है दुआ अब हो जाओ तुम भी मेरे।।