तुम्हें क्या पता।
तुम्हें क्या पता कि गरीब की दिक्कतें क्या-क्या होतीं हैं |
महसूस करके देखों उनकी आंखों में जिंदगियाँ जहां रोतीं हैं ||2||
मत भूला उनकी कुर्बानियों को ऐ पैसे वाले अमीर इंसाँ |
उनकी ही वजह से तेरी जिंदगियाँ सुकूं से यहाँ सोतीं हैं ||3||
यह आजमाइश है उनकी कि तू उनसे कुछ भी करा |
बदलेगा नसीब उनका भी क्योंकि उनकी मां दुआ में रोतीं हैं ||4||
दिलों को तोड़कर पा लेता है तू दुनिया में सब कुछ |
सोचना कभी तुम्हारी खातिर इनकी जिंदगियाँ क्या क्या खोतीं हैं ||5||
है आसान बहुत किसी की आंखों में आंसू ले आना |
तुम्हें क्या पता एक रोते हुए बच्चे की हंसी क्या होती है ||6||
मतलब की है यह दुनिया तू पहचान यहां अपने लोगों को |
यह आंखें हैं एक मां की जो अपने बच्चों के लिए सदा रोतीं हैं ||7||
मैंने देखा है कई जिंदगियों को यहां सिसकते हुए |
कोई पूछें उस गरीब से कि दौलत की कमी क्या होती है ||8||
ताज मोहम्मद
लखनऊ