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20 Aug 2020 · 1 min read

तुम्हीं सब्र तुम्हीं जब्र रहे होगे उसका

हदफ़ बन कर तुम शायद रह गए होगे उसका
वक़्त की पैकर में दिल छिल गया होगा उसका

उतरती रात की अंगनाई में चल कर आई तो होगी
तुम मिले न होगे तो ख़ाब मसल गया होगा उसका

न जाने तुमको उस लम्हा उससे कितने गिले होंगे
पलकों के बाल पेशानी पे तेरे जब मिले होंगे उसका

सहर के अंगनाई में तुम्हीं ने लगाई खूब रौनकें होगी
तुम्हीं से शाम की शोखी जवान होती हो शायद उसका

~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 397 Views
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