तुम्हारे होने से
तुम्हारे होने से
तुम्हारे होने से ही ये चाँदनी रात की रौशनी है
तुम्हारे होने से ही प्यार में मिठास की चाशनी है
तुम्हारे होने से ही महका-महका सारा संसार है
तुम्हारे होने से ही इस दिल में उमंगो की बहार है
तुम्हारे होने से ही मन में सुकून और चेहरे में नूर है
तुम्हारे होने से फ़िजा में सुहावनी सी धूप हर ओर है
तुम्हारे होने से ही ख्वाब और ख्वाब भी तुमसे है
तुम्हारे होने से फिजाओं में खूबसूरती भी तुमसे है
तुम्हारे होने से ही मन में खुमारी सी होने लगती है
तुम्हारे होने से ही दिल की बगिया महकने लगती है
तुम्हारे होने से ही ये गज़ल भी और संवरने लगती है
तुम्हारे होने से ही काव्य ये और भी निखरने लगती हैं
ममता रानी