तुम्हारे सॅंग गुजर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
गज़ल
तुम्हारे सॅंग गुजर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
ये भवसागर भी तरह जाते ये अच्छा हुआ होता।
नहीं हम देखते वे दिन जो देखे हैं तुम्हारे बिन,
जहां तुम हो उधर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
हजारों कोशिशें कर लीं रहे जैसे के तैसे ही,
अगर चे वो सुधर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
कि रंगो नूर उनका देख लेता मैं भी बस इक दिन,
खुदाया वो सॅंवर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
न होता दर्दे दिल प्रेमी न उनसे दूर हम होते,
नहीं घर से अगर जाते तो ये अच्छा हुआ होता।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी