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31 May 2023 · 1 min read

तुम्हारे बिन

एक मुक्तक
तुम्हारे बिन सताती है तुम्हारी याद की खुशबू ।
तुम्हारे बिन रुलाती है नित्य अवसाद की खुसबू ।
लाख इंकार कर दो तुम मगर खुद जानते हो सच ।
रात दिन दिल में रहती है तेरे जज्वात की खुसबू ।।
सतीश

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