तुम्हारे बिन है अधूरे __ गीत
****विरह _ गीत****
तुम आते तो हम भी गाते,
गीत नहीं गा पाए हैं।
बात लबों की रही लबों पर,
स्वरों में ढाल ना पाए हैं।।
तुम्हारे बिन है अधूरे ,
आओ हो जाए पूरे।।
(१)
भेजे निमंत्रण कई आमंत्रण_
तुमने ध्यान दिया नहीं।
भाव नहीं समझे मेरे और_
मुझको मान दिया नहीं।।
मीत तुम्ही को माना मैंने,
सब कुछ तुम पर वार दिया।
चोट मुझे पहुंचाई तुमने,
विरह का संसार दिया।।
कितने समय से पुकार रहे है,
बरस सात हुए पूरे।
तुम्हारे बिन है अधूरे ,
आओ हो जाएं पूरे।।
(२)
अंतिम बार है लिखा पत्र यह_
सुध मेरी अब ले लेना।
तरस रहे हैं तड़प रहे हैं,
झलक तो अब दिखला देना।।
मछली कब तक बिन पानी के,
अपने प्राण बचाएगी।
अब भी जो तुम नहीं आए तो,
जान मेरी भी जाएगी।।
मुझे बचा लो प्यार यह पा लो,
सपने ना रहे अधूरे।
तुम्हारे बिन है अधूरे,
आओ हो जाए पूरे।।
राजेश व्यास अनुनय