तुम्हारे बिना हैं अधूरे
**तुम्हारे बिना हैं अधूरे**
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हम तुम्हारे बिना हैं अधूरे,
कौन जाने कब होंगे पूरे।
दिल्लगी जब से है लगाई,
नींद आंखों में नहीं आई,
इतने भी नहीं हैं हम बुरे।
हम तुम्हारे बिना हैं अधूरे।
फूलों का कांटें हैं सहारा,
साथ ऐसा हमारा-तुमहरा,
प्रेम तो होगा ओ सुन हीरे।
हम तुम्हारे बिना हैं अधूरे।
तुम साया बनूं मैं परछाई,
इश्क की नहीं होती दवाई,
स्नेह से भरे खूब भटूरे।
हम तुम्हारे बिना हैं अधूरे।
मनसीरत बंधी हथकड़ियां,
सावन की लगी हैं झड़ियां,
तुम मदारी बनें हम जमूरे।
हम तुम्हारे बिना हैं अधूरे।
हम तुम्हारे बिना हैं अधूरे।
कौन जाने कब होंगे पूरे।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)