तुम्हारे बिना पापा
तुम्हारे बिना पापा
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पापा तुम कहां हो , में ढूंढती रहती हूं,
तुम दिखते नहीं मुझको,
दरश दो विनती करती हूं।
तुम्हारे जाने से वीरान है दुनिया,
ऐ!जग भी लगे सूखा हुआ दरिया।
पल-पल मैं निहारूं,
हर आहट पे देखूं।
तुम नज़र नहीं आते हो पापा,
मेरा दिल खो देता है आपा।
आंखों से मेरे बहते हैं मोती से आंसू,
जब भी ख्यालों में तुम्हारा साया देखूं।
तुम याद बहुत आते हो मेरे पापा!!
बेटी तुम्हारी तुम बिन उदास है,
जीवन में तुम्हारे बिना पापा अंधकार है
गुलिस्तां सा घर पतझड़ सा लगता है।
चमन के फूल भी मुरझा गए हैं—-
तुम्हारे बिना पापा दुनिया ,
वीरान हे लगती।
पापा तुम कहां हो!!
में ढूंढ़ती रहती———
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर