तुम्हारे प्यार से जुड़ा
****** तुम्हारे प्यार से जुड़ा (ग़ज़ल) *****
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*****काफिया-आर,रदीफ-से तेरे जुड़ा****
हो चाहतों में कैद मैं फिर प्यार से तेरे जुड़ा,
खा धूल दर दर की परिंदा द्वार से तेरे जुड़ा।
दीवानगी ने ही भुलाया था जगत सिवा तेरे,
आवाज दिल की जो सुनी मैं तार से तेरे जुड़ा।
जब से दिखे हो यार दीवाना खड़ा ही राह में,
वह मीत सच्चे प्रेम में संसार तेरे से जुड़ा।
तेरी छटा को बिंदियों से चाँद तारे हैं लगे,
वो नाक नथनी से जुड़े गलहार से तेरे जुड़ा।
आवारगी ने है बनाया यार मनसीरत जुदा,
जो देख कर तेरी अदा से कार से तेरे जुड़ा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)