तुम्हारे जन्मदिन पर विशेष !
कभी कम ना हो सांसों की गिनतियाँ
कभी कम ना हो जीवन के दिन कम,
कभी कम ना हो महकती सी ये हंसी
कभी कम ना हो गीतों में सरगम।
ना हो छिपते अंधेरों के मंज़र,
ना उजाला हो कोई तुम बिन,
मिले बंसी की हर धुन तुम्ही को
मिले बारह महीनों का सावन।
रोमावली से बना ये जीवन
हो दिवाली के जैसा ये हरदम,
आसमां ही तुम्हारी हदें हो
कामयाबी तुम्हारा हो परचम।
भूल से भी कभी भी ये जीवन
ना तुम्हे दे कभी कोई उलझन,
उँगलियों पर अंगूठे को रखकर
जब भी तिथियां करो तुम ये गिन-गिन;
याद आये तुम्हे ये जन्मदिन
याद आये तुम्हे ये जन्मदिन …
– नीरज चौहान