” तुम्हारे इंतज़ार में हूँ “
बेपनाह थी…..
बेइतहां थी…..
बेमिसाल थी…..
मौहब्बत हमारी तुम पर बेपनाह थी…!
अब बेपरवाह हूँ…..
बेसबर हूँ…..
बेबस हूँ…..
बेख्याली हूँ…..
बैकस हूँ…..
बेकरार हूँ…..
तुम्हारे इंतज़ार में हूँ…!!
पागल थी…..
मरती थी…..
जीती थी…..
गाती थी…..
तुम्हारी मौहब्बत की माया में रोजाना खोती थी…!
अब खामोश हूँ…..
लापरवाह हूँ…..
खोई हूँ…..
ना जागी ना सोई हूँ…..
रात रात भर रोई हूँ…..
तुम्हारी यादों की बारिशों में हूँ…!!
लेखिका- आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना