तुम्हारे आने से
ताजगी पहन
सिमटा सा मन
खुलने लगा है
तुम्हारे आने से
बिखरता वक़्त
ठहरा सा लगता है
नई आहट से
तुम्हारी आँखों में
लहराती एक शाख देखी है
आशाओं के तिनके हैं
मेरे पास और कुछ पत्तियाँ भी
तुम कहो तो घोसलें बना लूं
आकांछाओं के
और पंख फैला दूँ
नीले आकाश की ओर
कल्पनाओं के बीज
बो चुका हूँ
कोंपलें फूटना चाहती हैं
तुम्हारी ओट पाकर
एक बिंदास झोका
कह गया है
चुपके से
कि वक़्त का अगला पड़ाव
मेरी छत पर है