तुम्हारी हाँ है या ना ?
तुम्हारी हाँ है या ना कभी न जान सका
बरसों रहे साथ , क्या पूरा जान सका
एक अबूझ और आकर्षक नाम “स्त्री”
गहराई इतनी , कोई सही न माप सका
जिसने भी पढ़ना चाहा, अधूरा ही पढ़ा
प्रेम की लिखी इबारत , कोई न बाँच सका
एक संतुलन बनाता तराज़ू में, पासंग
अहमियत है क्या, कोई न पहचान सका
डा राजीव “सागरी”