तुम्हारी विरासत मेरा सरमाया है
तुम्हारी विरासत मेरा सरमाया है
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मयखाने में मय का जाम लगाया है
होठों पर हसीं तेरा नाम आया है
भूले बिसरे थे जो हम नाम तुम्हारा
दर्द ए दिल ने फिर याद करवाया है
दिल दीवाना सदियों से है तुम्हारा
तुम मेरे विरान हृदय का साया है
भावनाओं में बहक गए हैं इस कदर
आज फिर से प्रेम का तूफां आया है
जमाने वालों ने हमें मिलने न दिया
पग पग पर पहरेदार जो बैठाया है
जज्बातों के मारे मारे हैं फिरते
यादों ने सारी रात भर जगाया है
सुखविंद्र तन्हाई में तन्हां अकेला है
तुम्हारी विरासत मेरा सरमाया है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)