Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2016 · 1 min read

तुम्हारी याद

कविता
तुम्हारी याद

*अनिल शूर आज़ाद

कॉलेज के/चार वर्षों में
जब भी तुम/पीरियड में नही आई
तुमसे कोई/परिभाषित रिश्ता
नही होने के बावजूद
हर बार/लगा
तुम/ अपने पीछे
एक अज़ीब सूनापन
छोड़ गई हो
(जिसे केवल/तुम्हीं
भर सकती हो!)

कॉलेज की/कक्षा में
मैं/आज भी हूं
स्टूडेंट-बेंच से
लेक्चर-टेबल पर
आ गया हूं

ढ़ेरों चेहरे हैं/ मेरे सामने
पर भीतर.. सिर्फ तुम्हारी
अनगिनत/यादें हैं..बस..

(रचनाकाल : वर्ष 1988)

Language: Hindi
617 Views

You may also like these posts

Tu Mainu pyaar de
Tu Mainu pyaar de
Swami Ganganiya
4763.*पूर्णिका*
4763.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
डॉक्टर रागिनी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विदा दे मुझे
विदा दे मुझे
Shekhar Chandra Mitra
प्रेम की मर्यादा
प्रेम की मर्यादा
singh kunwar sarvendra vikram
वटसावित्री
वटसावित्री
Rambali Mishra
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
डी. के. निवातिया
हौसला मेरा बस रहे क़ायम,
हौसला मेरा बस रहे क़ायम,
Dr fauzia Naseem shad
नादान
नादान
Shutisha Rajput
Noone cares about your feelings...
Noone cares about your feelings...
Suryash Gupta
"सियाही का जादू"
Dr. Kishan tandon kranti
🙅अजब-ग़ज़ब🙅
🙅अजब-ग़ज़ब🙅
*प्रणय*
मिट्टी सा शरीर कल रहे या ना रहे जो भी खास काम है आज ही करलो
मिट्टी सा शरीर कल रहे या ना रहे जो भी खास काम है आज ही करलो
पूर्वार्थ
अधूरे अफ़साने :
अधूरे अफ़साने :
sushil sarna
क्या पता?
क्या पता?
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
बसंत आने पर क्या
बसंत आने पर क्या
Surinder blackpen
आतंक और भारत
आतंक और भारत
Sanjay ' शून्य'
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
जितनी मेहनत
जितनी मेहनत
Shweta Soni
"इंसान की फितरत"
Yogendra Chaturwedi
मैं हूं ना
मैं हूं ना
Sunil Maheshwari
XOILAC TV là kênh xem bóng đá trực tiếp miễn phí được người
XOILAC TV là kênh xem bóng đá trực tiếp miễn phí được người
Xoilac TV
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
Harminder Kaur
अद्य हिन्दी को भला एक याम का ही मानकर क्यों?
अद्य हिन्दी को भला एक याम का ही मानकर क्यों?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*जीवन-साथी यदि मधुर मिले, तो घर ही स्वर्ग कहाता है (राधेश्या
*जीवन-साथी यदि मधुर मिले, तो घर ही स्वर्ग कहाता है (राधेश्या
Ravi Prakash
हिंदी गजल
हिंदी गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
नूर –ऐ- चश्म ( अमर गायक स्व. मुहम्मद रफ़ी साहब के जन्म दिवस पर विशेष )
नूर –ऐ- चश्म ( अमर गायक स्व. मुहम्मद रफ़ी साहब के जन्म दिवस पर विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
Ranjeet kumar patre
Loading...