तुम्हारी याद
जब तुम्हारी याद आती
एक तारा टूटता है
शान्त ज्वालामुखी उर का
दहकता है, फूटता है
जब तुम्हारी याद आती
कांच—सा मन दरकता है
और नयनों से व्यथा का
एक आंसू ढरकता है
जब तुम्हारी याद आती
सो न पाता एक पल मैं
जागता, जीवन—पहेली
कर न पाता मगर हल मैं
जब तुम्हारी याद आती
मैं निकट तुमको न पाता
तब उठा कागज—कलम मैं
गीत—गंगा में नहाता
महेशचन्द्र त्रिपाठी