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17 Nov 2019 · 1 min read

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें रोज़ ही तड़पा रही हैं हमे!
तुम्हारी हर वो आहट रुला रही हैं हमे!

बेइन्तहा इश्क़ किया हैं हम ने तुम को!
अब वही चाहत तो उलझा रही हैं हमे!

मुहब्बत क्या गज़ब की हैं हमने तुमको!
तुम्हारी वो नफ़रत सब बता रही हैं हमे!

ख़्वाबे-मुख़्तसर के लिए सोना हैं मुझे!
मगर रात भर नींद कहाँ आ रही हैं हमे!

भूल जाये हम तुझे ऐसा भी नहीं अब!
मुद्दतो से बस तेरी याद आ रही हैं हमें!

कोई बात करे और किसी से भी करे!
हर बात पर तेरी याद आ रही हैं हमे!

इतना तसलसुल तो सांसों में भी नहीं!
जिस रवानी से तु याद आ रही हैं हमे!
?-Anoop S©
16th Nov.2019

7 Likes · 312 Views
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