Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2019 · 1 min read

तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादें रोज़ ही तड़पा रही हैं हमे!
तुम्हारी हर वो आहट रुला रही हैं हमे!

बेइन्तहा इश्क़ किया हैं हम ने तुम को!
अब वही चाहत तो उलझा रही हैं हमे!

मुहब्बत क्या गज़ब की हैं हमने तुमको!
तुम्हारी वो नफ़रत सब बता रही हैं हमे!

ख़्वाबे-मुख़्तसर के लिए सोना हैं मुझे!
मगर रात भर नींद कहाँ आ रही हैं हमे!

भूल जाये हम तुझे ऐसा भी नहीं अब!
मुद्दतो से बस तेरी याद आ रही हैं हमें!

कोई बात करे और किसी से भी करे!
हर बात पर तेरी याद आ रही हैं हमे!

इतना तसलसुल तो सांसों में भी नहीं!
जिस रवानी से तु याद आ रही हैं हमे!
?-Anoop S©
16th Nov.2019

7 Likes · 335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
सत्य कुमार प्रेमी
4471.*पूर्णिका*
4471.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
Jogendar singh
खड़ा रेत पर नदी मुहाने...
खड़ा रेत पर नदी मुहाने...
डॉ.सीमा अग्रवाल
" न्यारा पूनिया परिवार "
Dr Meenu Poonia
ज़िन्दगी तेरी बनना जायें कहीं,
ज़िन्दगी तेरी बनना जायें कहीं,
Dr fauzia Naseem shad
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
Taj Mohammad
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
गलत लोग, गलत परिस्थितियां,और गलत अनुभव होना भी ज़रूरी है
गलत लोग, गलत परिस्थितियां,और गलत अनुभव होना भी ज़रूरी है
शेखर सिंह
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
ज़ख्म पर ज़ख्म अनगिनत दे गया
Ramji Tiwari
"जीना"
Dr. Kishan tandon kranti
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
.......अधूरी........
.......अधूरी........
Naushaba Suriya
मैंने हर मुमकिन कोशिश, की उसे भुलाने की।
मैंने हर मुमकिन कोशिश, की उसे भुलाने की।
ओसमणी साहू 'ओश'
Peace peace
Peace peace
Poonam Sharma
नवगीत : अरे, ये किसने गाया गान
नवगीत : अरे, ये किसने गाया गान
Sushila joshi
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
" कृष्णक प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
अच्छी यादें सम्भाल कर रखा कीजिए
अच्छी यादें सम्भाल कर रखा कीजिए
नूरफातिमा खातून नूरी
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
पूर्वार्थ
सोच
सोच
Sûrëkhâ
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
Ravi Prakash
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय*
अनपढ़ सी
अनपढ़ सी
SHAMA PARVEEN
रात भी तन्हाई भरी काटना ऐ मेरे दोस्त,
रात भी तन्हाई भरी काटना ऐ मेरे दोस्त,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
Loading...