तुम्हारी मुस्कराहट
तुम्हारी मुस्कराहट
मेरा स्वार्थ है,
फिर कैसे कह दूँ मेरा प्रेम निःस्वार्थ है,
जिस प्रेम को
प्रमाणित नही किया जा सकता
वो प्रेम अधुरा है,
पूर्ण प्रेम वही है
जो हर परिस्थिति का
ताप सहकर
प्रमाणिकता के साथ
प्रस्तुत किया जा सके
राधारानी सा प्रेम….!!!!
हिमांशु Kulshrestha