तुम्हारी दौलत नई-नई है,
तुम्हारी दौलत नई-नई है,
प्यार में शरूर आने लगा।
कली अभी खिली भी नहीं ,
भंवरे का मन ललचाने लगा।
शबाब का जादू ऐसा चढ़ा,
दिल मेरे को उकसाने लगा।
तुम्हारी दौलत नई-नई है,
प्यार में शरूर आने लगा।
हुए है तेरे प्यार में पागल,
ज़हर भी अबअमृत लगने
लगा।
आरजू तो है डूब जाने की,
कमबख्त होश है कि दिल
को तड़फाने लगा।
तुम्हारी दौलत नई-नई है,
प्यार में “माही ” शरूर आने लगा।