Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2024 · 1 min read

तुम्हारी दौलत नई-नई है,

तुम्हारी दौलत नई-नई है,
प्यार में शरूर आने लगा।
कली अभी खिली भी नहीं ,
भंवरे का मन ललचाने लगा।
शबाब का जादू ऐसा चढ़ा,
दिल मेरे को उकसाने लगा।
तुम्हारी दौलत नई-नई है,
प्यार में शरूर आने लगा।
हुए है तेरे प्यार में पागल,
ज़हर भी अबअमृत लगने
लगा।
आरजू तो है डूब जाने की,
कमबख्त होश है कि दिल
को तड़फाने लगा।
तुम्हारी दौलत नई-नई है,
प्यार में “माही ” शरूर आने लगा।

1 Like · 146 Views

You may also like these posts

सृजन तेरी कवितायें
सृजन तेरी कवितायें
Satish Srijan
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्यूँ मन है उदास तेरा
क्यूँ मन है उदास तेरा
योगी कवि मोनू राणा आर्य
मंजिल न मिले
मंजिल न मिले
Meera Thakur
हम तुम्हारे हुए
हम तुम्हारे हुए
नेताम आर सी
आवो करीब तुम यहाँ बैठों
आवो करीब तुम यहाँ बैठों
gurudeenverma198
मैं एक पल हूँ
मैं एक पल हूँ
Swami Ganganiya
2943.*पूर्णिका*
2943.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जो पहले थी वो अब भी है...!
जो पहले थी वो अब भी है...!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
आप हो
आप हो
sheema anmol
फुलवा बन आंगन में महको,
फुलवा बन आंगन में महको,
Vindhya Prakash Mishra
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
Mukesh Kumar Sonkar
गीत.......✍️
गीत.......✍️
SZUBAIR KHAN KHAN
तेरी बेवफाई भी कबूल।
तेरी बेवफाई भी कबूल।
Rj Anand Prajapati
***** सिंदूरी - किरदार ****
***** सिंदूरी - किरदार ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
Veneeta Narula
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
एक लम्हे में
एक लम्हे में
Minal Aggarwal
भाव - श्रृंखला
भाव - श्रृंखला
Shyam Sundar Subramanian
गीत- तेरे दिल प्यार की ख़ातिर...
गीत- तेरे दिल प्यार की ख़ातिर...
आर.एस. 'प्रीतम'
मैं स्वयं हूं..👇
मैं स्वयं हूं..👇
Shubham Pandey (S P)
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
VINOD CHAUHAN
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
😢कमाल की सिद्ध-वाणी😢
😢कमाल की सिद्ध-वाणी😢
*प्रणय*
तेवरी में नपुंसक आक्रोश +बी.एल. प्रवीण
तेवरी में नपुंसक आक्रोश +बी.एल. प्रवीण
कवि रमेशराज
आप क्या समझते है जनाब
आप क्या समझते है जनाब
शेखर सिंह
प्रकृति सुर और संगीत
प्रकृति सुर और संगीत
Ritu Asooja
उपकार हैं हज़ार
उपकार हैं हज़ार
Kaviraag
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
Neelam Sharma
Loading...