तुम्हारी दोस्ती
पक्के दोस्त तो थे तुम मेरे,
जीने की बस वजह थे मेरे,
जीने की वजह बदल दी मैंने,
तुम्हारी दोस्ती तोड़ दी मैंने।
तुम कभी भी बुरे तो नहीं थे,
न ही बुरी तुम्हारी दोस्ती थी,
बस बुरा किया केवल मैंने,
तुम्हारी दोस्ती तोड़ दी मैंने।
मेरे हमराज़ बन गए तुम,
ज़िन्दगी का साज़ बन गए तुम,
चाहतों का एहसास बन गए तुम,
दिल का अरमान बन गए तुम।
तुम्हारी दोस्ती तोड़ दी मैंने,
कुछ गलत तो नहीं किया मैंने ।