तुम्हारी झील सी आंखें
1222/1222/ 1222/1222
तुम्हारी झील सी आंखें लगे जैसे कि मयखाना।
हमारा हाल तो देखो, बना हूं जान दीवाना।
कभी तेरी अदा मुझको , सताती है मगर यारा।
तिरा गुस्सा तिरा नखरा, गज़ब है और मुस्काना।
मिरे हर ख्वाब में तुम हो,मिरे हर सांस में तुम ही
तुझी से चैन है दिल का,कभी तुम दूर मत जाना ।
दिखे तो देख लो तुम भी,हुआ कल आंख से बारिश।
मोहब्बत हो खता चाहे, मगर हमको न पछताना।
सुनो अब जो सुनाता हूं ,तुझे दिल में बसाता हूं।
आगर खोजूं कभी दीपक , मिरे तुम पास आजाना।
©® दीपक झा रुद्रा
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