तुम्हारी चाहत — जानता हूं — तुम मानो– मुक्तक
मुक्तक (१)
तुम्हारी चाहत में हमने ,कई रातें गुजारी है।
करते हैं प्यार तुम्ही से हम ,कोशिशें अब भी जारी है ।
जीत लेंगे तुम्हारा दिल,जरा हमसे तो आकर मिल।
सच्चे प्यार ने जग में ,कहां कोई जंग हारी है।।
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(२)
जानता हूं मानता हूं, तुझ पर पहरे ज्यादा है।
तोड़ दूंगा मै सब पहरे, मेरा पक्का इरादा है।
सब्र का इम्तिहान मेरा, और ना ले जमाने तू।
दे उसको रास्ता अपना, हमारा अपना वादा है।।
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(३)
प्यार के दुश्मनों जानो, दर्दे दिल को तुम पहचानो।
मिलने दो दो दिलों को अब,रार ना बीच में ठानो।
नहीं तुम जीत पाओगे ,बाद में फिर पछताओगे।
प्यार से ना कोई जीता है, कहना हमारा तुम मानो।।
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राजेश व्यास अनुनय