तुम्हारी चाय की प्याली / लवकुश यादव “अज़ल”
तुम्हारी चाय की प्याली में अब मजा नहीं आता,
समुद्र की दोस्ती है खारी ये कहा नही जाता।
तुम हर्ष जी रहे हो जीवन को धरा पर स्थिर,
तुम याद आज भी आते हो लेकिन कहा नही जाता।।
इरादे तुम्हारे नेक भी हो रहें हो तो क्या,
सहज इरादों पर नमक को छिड़का नही जाता।
तुम याद आज भी आते हो लेकिन कहा नही जाता,
तुम्हारी चाय की प्याली में अब मजा नहीं आता।।
करूँ कोशिश मैं दुनियाँ को बताने की,
यार ऐसा है कि अब कुछ कहा नही जाता।
हालात ए दिल कैसे हैं मनोरम दृश्य जीवन के,
तुम्हारी चाय की प्याली में अब मजा नहीं आता।।
वकालत न करो मुझसे तुम अपने झूठे शब्दों से,
वीरान है फलक लेकिन फलक से कुछ कहा नही जाता।
तुम याद आज भी आते हो लेकिन कहा नही जाता,
तुम्हारी चाय की प्याली में अब मजा नहीं आता।।
लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी उत्तर प्रदेश