तुम्हारी कहानी
सुनाऊं कोई कहानी मैं ऐसी ।
जैसे बीती हो खुद तुम पर वैसी ।।
सुनकर खुद को तुम महसूस कर ही लोगे ।
वादा हैं मेरा तुम खुद से मिल लोगे।।
हर मोड़ के किस्सों में अश्क तुम्हारा ही होगा ।
तुम्हारी ही तो कहानी हैं,तुम्हारे सिवा और कौन होगा।।
वक्त के थपेड़ों पर तन्हाइयो का मरहम तुमने ही लगाया था।
खुशी में सभी साथ थे , ग़म में सिर्फ साया आया था ।।
बढ़ती उम्र की संख्याओं पर, जब ध्यान तुम्हारा गया होगा।
तब कुछ कर गुजरने की चाह का, एक दीपक सीने में जलाया होगा ।।
भटककर लौट आए होंगे जब घर तुम घर खाली हाथ।
पिता की डाट के साथ मां का हाथ भी तुम्हारे सर पर आया होगा ।।
तब ज़िद्दी मन ने फिर से हिम्मत बांधी थी ।
आख़िर मंजिल पर पहुंचकर ही मैने नींद निकाली थी ।
सुनाऊं कोई कहानी मै ऐसी ।
जैसे बीती हो खुद तुम पर वैसी ।।