तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
तुम्हारी आँख से जब आँख मिलती है मेरी जाना,
तो घण्टों बैठकर के हम अकेले मुस्कराते हैं ।
तुम्हें अब इस क़दर हमने बसाया अपने सीने में,
कि रातों में मुझे सपने, तुम्हारे ही तो आते हैं ।।
कभी जब तुम अकेले रास्ते में मुस्कराकर के–
गुज़रते हो, तो नगमे इश्क़ के हम गुनगुनाते हैं ।
हमें मायूस तुमको देखना अच्छा नहीं लगता,
जो ग़र तुम मुस्कराते हो, तो हम भी मुस्कराते हैं।
— सूर्या