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18 Jul 2021 · 1 min read

तुम्हारी आँख में

तरही ग़ज़ल
~~~~~~

तुम्हारी आँख में काजल नहीं है
कि जैसे धूप में बादल नहीं है

किधर को चल दिये इक रात में सब
कहीं भी शह्र में हलचल नहीं है

बहुत मायूस नज़रें हैं ज़मीं की
‘फ़लक पर दूर तक बादल नहीं है’

मुहब्बत, दोस्ती, रिश्ते की ज़द में
यहाँ है कौन जो घायल नहीं है

वो जिसमें खो गये थे ख़्वाब सारे
मुसल्सल याद का जंगल नहीं है

‘असीम’ अपना वो माज़ी ढूंढता है
कहे दुनिया मगर पागल नहीं है

©️ शैलेन्द्र ‘असीम’

1 Like · 2 Comments · 329 Views

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