तुम्हारी आँखें…।
तेरी शोला सी आँखें, कभी शबनम सी आँखें।
सागर सी नयनों में, है स्नेहराग तुम्हारी आँखें॥
तेरी ख्वाब सी आँखें, कभी अल्फाज सी आँखें।
इस विरान शहरों में, है स्व बोध तुम्हारी आँखें॥
तेरी पावन सी आँखें, कभी पावक सी आँखें।
दग्ध हिय प्रेमियों की, है मधुपान तुम्हारी आँखें॥
तेरी चंचल सी आँखें, कभी अविचल सी आँखें।
विरक्त हुए रसिकों की, है आलय तुम्हारी आँखें॥
तेरी अनजान सी आँखें, कभी पहचान सी आँखें।
मेरे सभी हसरतों का, है मीज़ान तुम्हारी आँखें॥
तेरी तुफान सी आँखें, कभी परवान सी आँखें।
विराग हुए परिंदों की, है ठहराव तुम्हारी आँखें॥
तेरी गाफ़िल सी आँखें, कभी साहिल सी आँखें।
बिन पतवार माँझी का, है एतबार तुम्हारी आँखें॥
तेरी शर्मीली सी आँखें, कभी बर्फीली सी आँखें।
समेटे पराग अधरों में, है अनुराग तुम्हारी आँखें॥
तेरी गजल सी आँखें, कभी सजल सी आँखें।
नग्न हुए जज़्बातों के, है संस्कार तुम्हारी आँखें॥
तेरी निश्छ्ल सी आँखें, कभी उज्जवल सी आँखें।
इस भू पर मालिक का, है उपहार तुम्हारी आँखें॥
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