तुम्हारा साथ चाहा था..
तुम्हारा साथ चाहा था..
मेरे तुम थे नहीं तो कब तुम्हें
वादों में बांधा था..
थे रिश्तों के भी अपने दायरे
मालूम था उसको..
तभी छूटा तो रोया था..
न सीमा मन भी लांघा था!
स्वरचित
रश्मि लहर
तुम्हारा साथ चाहा था..
मेरे तुम थे नहीं तो कब तुम्हें
वादों में बांधा था..
थे रिश्तों के भी अपने दायरे
मालूम था उसको..
तभी छूटा तो रोया था..
न सीमा मन भी लांघा था!
स्वरचित
रश्मि लहर