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18 Feb 2022 · 1 min read

*तुम्हारा आना क्या कहना (भक्ति- गीतिका)*

तुम्हारा आना क्या कहना (भक्ति- गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
वो चुपके से दबे पाँवों तुम्हारा आना क्या कहना
न जाने मस्तियों को कैसी-कैसी लाना क्या कहना
(2)
मुलाकातें तो यूँ तुमसे हजारों हो चुकीं लेकिन
न चेहरा आज तक अपना कभी दिखलाना क्या कहना
(3)
नशा पहचान है जैसे तुम्हारे घर में आने का
नशे में डूबकर सँग में तुम्हारे गाना क्या कहना
(4)
हमें मालूम है तुम अपनी मर्जी से ही आते हो
तुम्हारी ना -नुकर फिर बाद में मुस्काना क्या कहना
(5)
कभी ऐसा भी होता है कि आते ही नहीं हो तुम
यूँ अपने चाहने वालों को भी तरसाना क्या कहना
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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