तुमको ही चुनना होगा
अपने राहों के काटों को ,
तुमको ही तो चुनना होगा,
मंजिल आसान नही होगी,
हर पग पर धीरज रखना होगा।
सहने होगें सबके ताने ,
बातें भी सबकी सुननी होगी।
सबसे ज्यादा मुश्किल होगा ,
कि तुमको चुप रहना होगा।
आगे बढ़ने की होड़ भी होगी,
सब इक दूजे को नीचा दिखाएंगे।
मंज़िल तक वहीं ही पहुंचेगे,
जो लक्ष्य पे ध्यान लगाएंगे।
कुछ तुमको भरमाऐंगे ,
कुछ गलत राह ले जायेंगें।
पर जाना कहां है तुमको ,
मंजिल खुद ही तय करना होगी।
जो आज उड़ाते हैं मजाक ,
कल तुमसे मिलने आयेंगें।
तेरी एक कामयाबी ,
उन सबका जवाब बन जायेंगीं।
फिर तेरे ही किस्से देखना
हर गली मोहल्ले में होंगें।
तब तेरा वह एक मौन ,
तेरे संघर्ष बताएगा।
रुबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ