तुमको सोचकर जवाब दूंगा
मैं सोचकर तुमको दूंगा जवाब, क्या साथी बनाये हम तुमको।
क्या फायदा इससे मुझको होगा, क्या दिल में पनाह दे हम तुमको।।
मैं सोचकर तुमको दूंगा जवाब——————।।
मुझको पसंद नहीं बंदिश, बेफिक्र अब तक रहा हूँ मैं।
क्या हाल होगा मेरे दिल का, क्या हाथ थमाये हम तुमको।।
मैं सोचकर तुमको दूंगा जवाब—————–।।
चाहता नहीं हूँ मैं अब, किसी की गुलाम हो जिंदगी।
जिंदगी में होगी कितनी खुशी, क्या ख्वाब बनाये हम तुमको।।
मैं सोचकर तुमको दूंगा जवाब—————–।।
चाहता नहीं हूँ अब तकलीफ़, नहीं कभी धन की कमी।
रोशन होगा कितना नसीब, क्या जिंदगी सौंपें हम तुमको।।
मैं सोचकर तुमको दूंगा जवाब—————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)