**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
तुझे देख कर मैंने जीना सीख लिया
तू चला गया मैंने पीना भी सीख लिया
गम और ख़ुशी का संगम साथ लेकर
तू अकेला मझधार में मुझे छोड़ गया !!
बेवफ़ा से अच्छी बेवफाई है यार
साथ तो निभा रही है अपने साथ
डूबते को जैसे सहारा नहीं मिलता
बस वहीँ तू मुझे डुबो गया मेरे यार !!
आँखों से में आंसू में बहने नहीं देता
डर है की दिल जार जार ना रोये
उठ गया सैलाब अगर इन अश्को का
खौफ है की तुझे डूबा के न ले जाये !!
मेरी हंसती हुई दुनिया को उजाड़ के
मेरे सारे अपमानो को यूं तू तोड़ के
हँसता हुआ चेहरा उदास सा मुझे छोड़ के
तू अकेला मेरे अरमान डुबो ,छोड़ गया !!
अजीत तलवार
मेरठ
Posted by ajeet kavita at 02: