तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
पहचान तू अपनी जिंदा रख ,
जान चली जाए लेकिन
सम्मान को अपने जिंदा रख ।
दुनिया है ये सब दोरंगी ,
कुछ ढकी हुई कुछ है नंगी ,
जो जैसा है उसे रहने दे ,
अपने ईमान को जिंदा रख ।
यहां कोई नहीं इंसा ऐसा
जो दुख में आंसू पोंछेगा ,
खुद ही अपनी हिम्मत बन
और मुस्कान को जिंदा रख ।
दुनिया को खुश रखने की खातिर
कितनी इच्छाएं मारोगे ?
जो मरता है मर जाने दे ,
अपने अरमान को जिंदा रख ।
याद दिलाए जो धरती ,
ऊंचाई भी बस इतनी हो ।
बेशक छू लेना आसमान
लेकिन कच्चे मकान को जिंदा रख ।
दिल दुखता है पर खुद को ही
मजबूत बनाकर जीना है ।
जिंदा रहकर मन के भीतर
एक शमशान को जिंदा रख ।
मंजू सागर
गाजियाबाद