तुझे बनाऊँ, दुल्हन घर की
कुछ हैं अधूरा कुछ हैं पूरा
नव-जीवन का नया सवेरा
किस जन्म का रिश्ता तेरा
मिलने को मन करता मेरा
तू सपना हिय के मंदिर की
तुझे बनाऊँ, दुल्हन घर की
नई आश ने जन्म लिया हैं
तू बाती की ज्योति दिया हैं
प्रणोदक अनुनय विनय का
तूने दिया उपहार मुझे
तेरे आदर्शों पे चला मैं
याद करे संसार मुझे
यह बंधन हैं स्नेह प्यार की
तुझे बनाऊँ, दुल्हन घर की