तुझे पाने की इच्छा में………………….. झूम जाता हूँ |गीत| “मनोज कुमार”
तुझे पाने की इच्छा में मैं सब कुछ भूल जाता हूँ
तेरे होठों की शबनम का नशा कर झूम जाता हूँ
तुझे पाने की इच्छा में…………………………………. झूम जाता हूँ
तेरा खुमार इस दिल पे मुद्दतों बाद छाया है
नैनों का तेरा ये जादू कैद कर दिल को आया है
जहाँ इकरारे महोब्बत हो वहीं दिल ये मुस्काया है
बजे जब प्यार की बंसी मीत जब मिलने आया है
तुझे पाने की इच्छा में…………………………………. झूम जाता हूँ
छलकती जाम में हो तुम अप्सरा सी थिरकती हो
तेरे माधुर्य का प्रेमी मेरी साँसों में चलती हो
लुटा दूँ खुवाहिशें तुम पर दफ़न कर गुनाह में आया हूँ
खवाबों में तुम्हीं हो बस हर पल स्वर्ग से तुम्हें बुलाया हूँ
तुझे पाने की इच्छा में…………………………………. झूम जाता हूँ
बंदिशों की तुम सीमा तोड़ मेरे हृदय में बस जाओ
सताना बन्द करो तुम अब सितम ना इतने तुम ढाओ
चले आओ चले आओ अगन ना दिल की भड़काओ
बहुत तड़पा हूँ मैं तुम बिन जानूँ ना और तड़पाओ
तुझे पाने की इच्छा में…………………………………. झूम जाता हूँ
“मनोज कुमार”