तुझे देखूं सुबह शाम।
ख्वाहिश है बस इतनी तुझे देखूं सुबह शाम।
जिस दिन ना मिलूं आता नहीं है एक पल को आराम।।1।।
तुझसे ही है मेरी जिंदगी में जन्नत सा सुकूँ।
उस खुदा के बाद जुबां पर लेता हूं बस तेरा ही नाम।।2।।
कोई कैसे रोके खुद को तुमको चाहने से।
तेरा हुस्न है परियों सा देखके इसे दिल लेता हूं थाम।।3।।
तेरी मस्त नज़रों की इक झलक चाहता हूं।
तेरे सुरूर के आगे फीका पड़ जाए मैखानें का जाम।।4।।
कौन से जहां से तुम आई हो पता दो ज़रा।
राहतें है तुमसे मैं क्या कहकर पुकारू तुम्हारा नाम।।5।।
यूं बदहवास से ना देखा करो तुम हमको।
तेरी कातिल निगाहें ले लेंगी हमारी एक दिन जान।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ