Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **

तुझे देख कर मैंने जीना सीख लिया
तू चला गया मैंने पीना भी सीख लिया
गम और ख़ुशी का संगम साथ लेकर
तू अकेला मझधार में मुझे छोड़ गया !!

बेवफ़ा से अच्छी बेवफाई है यार
साथ तो निभा रही है अपने साथ
डूबते को जैसे सहारा नहीं मिलता
बस वहीँ तू मुझे डुबो गया मेरे यार !!

आँखों से में आंसू में बहने नहीं देता
डर है की दिल जार जार ना रोये
उठ गया सैलाब अगर इन अश्को का
खौफ है की तुझे डूबा के न ले जाये !!

मेरी हंसती हुई दुनिया को उजाड़ के
मेरे सारे अपमानो को यूं तू तोड़ के
हँसता हुआ चेहरा उदास सा मुझे छोड़ के
तू अकेला मेरे अरमान डुबो ,छोड़ गया !!

अजीत तलवार
मेरठ

Language: Hindi
27 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
अधखिली यह कली
अधखिली यह कली
gurudeenverma198
International Self Care Day
International Self Care Day
Tushar Jagawat
फूल और तुम
फूल और तुम
Sidhant Sharma
आज हम सब करें शक्ति की साधना।
आज हम सब करें शक्ति की साधना।
surenderpal vaidya
जब जब जिंदगी में  अंधेरे आते हैं,
जब जब जिंदगी में अंधेरे आते हैं,
Dr.S.P. Gautam
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
Ranjeet kumar patre
क्या कहूँ ?
क्या कहूँ ?
Niharika Verma
সিগারেট নেশা ছিল না
সিগারেট নেশা ছিল না
Sakhawat Jisan
3275.*पूर्णिका*
3275.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" मुरादें पूरी "
DrLakshman Jha Parimal
स्मृतियाँ  है प्रकाशित हमारे निलय में,
स्मृतियाँ है प्रकाशित हमारे निलय में,
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
Touch the Earth,
Touch the Earth,
Dhriti Mishra
■ आज का निवेदन...।।
■ आज का निवेदन...।।
*प्रणय प्रभात*
लेखक कि चाहत
लेखक कि चाहत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
टॉम एंड जेरी
टॉम एंड जेरी
Vedha Singh
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
Buddha Prakash
नववर्ष का आगाज़
नववर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ
Bidyadhar Mantry
तू एक फूल-सा
तू एक फूल-सा
Sunanda Chaudhary
राखी धागों का त्यौहार
राखी धागों का त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
दूरी सोचूं तो...
दूरी सोचूं तो...
Raghuvir GS Jatav
*राखी के धागे धवल, पावन परम पुनीत  (कुंडलिया)*
*राखी के धागे धवल, पावन परम पुनीत (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन अप्रत्याशित
जीवन अप्रत्याशित
पूर्वार्थ
वाह मेरा देश किधर जा रहा है!
वाह मेरा देश किधर जा रहा है!
कृष्ण मलिक अम्बाला
पावस की ऐसी रैन सखी
पावस की ऐसी रैन सखी
लक्ष्मी सिंह
"अपनी माँ की कोख"
Dr. Kishan tandon kranti
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
हो सके तो मुझे भूल जाओ
हो सके तो मुझे भूल जाओ
Shekhar Chandra Mitra
शब्द
शब्द
Madhavi Srivastava
नक़ली असली चेहरा
नक़ली असली चेहरा
Dr. Rajeev Jain
Loading...