तुझसे शिकायत है ए जिंदगी
आज तुझसे अदालत है ए जिंदगी
तुझसे आज वकालत है ए जिंदगी
कर सामना मेरी तलवारों का
जवाब दे मेरे सवालों का
क्यू तूने गरीबी देदी उपचार में?
क्यू बाप का साया छीन लिया अहंकार में?
क्या उन बच्चों को बताया इस हाहाकार में?
तुझसे शिकायत है ए जिंदगी।
सन्नाटे का है ये दौर
चारो ओर अंधेरा घोर
मां का मातम बच्चो का शोर
ए जिंदगी तू क्या चाहती है?
आखिर और किसे रुलाना चाहती है?
चूड़ी टूटी आंचल रूठा
श्रृंगार छूटा नसीब भी फूटा
आज दिल चिल्लाकर रोया है
मां ने अपना लाल खोया है।
बच्चे खुश हैं अपने मन से
पता नही बाप का शव अभी उठा है घर से?
ए जिंदगी तू क्या बताएगी इन्हे?
की आगे कितना सताएगी इन्हें?
बचपन ने दिया बचपन से कमाना
बचा न पाए तो मातम मना रहा है जमाना।
वाह! तूने बच्चे किए जवान गरीबी में
खुश भी किया है किसीको बेमिसाल अमीरी में।
दिए को भुजा गई और हस्कर तो सुला गई
लेकिन उस मुखड़े को हमेशा के लिए रुला गई
तुझसे शिकायत है ए जिंदगी।