तुझसे मिलाती मेरी कलम
कहाँ हो तुम ढूंढ रहा हूँ कब से,
कर रहा हूँ दर दर फरियाद रब से,
मन मे बसी इक सूरत,
जैसे हो मंदिर की मूरत,
जब आता तुम्हारा ध्यान,
बढ़ जाता है मेरा ज्ञान,
हर्ष से झूम उठता मन,
हरा भरा हो जाता उपवन,
सुनाई देने लगते पदचाप,
दौड़ा आता हूं छोड़ सारे जाप,
कभी घूमे थे साथ मेले,
अब झूल रहे जग के झमेले,
जब होता हूँ मैं अकेला,
याद आती संध्या की बेला,
तुझसे मिलाती मेरी कलम,
पास रहती हो हर मौसम,
हर शब्द में तुम्हारा वास्,
तुमसे जुड़ी मेरी हर साँस,
।।।जेपीएल।।।